WHEN GOD MADE THE UNIVERSE/MAN, HE ALSO GAVE MAN A MANUAL AND THAT IS VEDAS
agrasen
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[aryayouthgroup] The Book given by God
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Haresh Patani
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नमस्ते धर्म प्रेमी सज्जनों ,
मेरा नाम हरेश पताणी आर्य है , क्योकि हम हिंदू ( प्राचीन नाम आर्य ) है,
में आपके समक्ष कुछ बाते प्रस्तुत करना चाहता हूँ ,
आज हर व्यक्ति किसी न किसी धर्म को मानता है , कोई न कोई संप्रदाय या
मान्यता से जुड़ा हुआ है ,
हर धार्मिक व्यक्ति ईश्वर की सत्ता में विश्वास रखता है , और मानता है की
ईश्वर एक है , और अपने उस धर्म की पुस्तक को ही ईश्वर का जानता है,
आज मुख्य रूपसे ५ या ६ धर्म है , जैसे की हिंदू , ईसाई ( christanity ) ,
इस्लाम , जैन , बोद्ध और यहूदी.
इन सभी धर्मो की अपनी एक मुख्य धार्मिक पुस्तक है , जैसे की ईसाई की "बायबल"
, इस्लाम की "कुरान" , जैन का "कल्प सूत्र" *, *बोद्ध का "त्रिपिताका" ,
और यहूदी के "तनख" . जबकि हिंदू धर्म की मुख्य पुस्तक के बारे मे आज भी दुविधा
है ,
कोई गीता को मानता है , कोई भागवत को , तो कोई रामायण को या पुरानो को , कोई
महाभारत ग्रंथ को आदि आदि .
क्या आप जानते है , हमारे धर्म की मुखय पुस्तक का नाम ?. चलिए इस पहेली को
सुल्जाते है .
आपकी जानकारी के लिए , इन सभी काल और धर्मो को आये लगभग कितने वर्ष हुए,
१. रामायण काल १० लाख वर्ष पुराना है ,
२. महाभारत/गीता काल ५२०० वर्ष पुराना है ,
३. पारसी धर्म ४५०० वर्ष पुराना है ,
४. यहूदी धर्म ४००० वर्ष पुराना है ,
५. जैन और बौद्ध धर्म २५०० वर्ष पुराना है ,
६. शंकराचार्य काल २३०० वर्ष पुराना है ,
७. पुराण मत २००० वर्ष पुराना है
८. ईसाई धर्म २००० वर्ष पुराना है
९. इस्लाम धर्म १४०० वर्ष पुराना है ,
१०. सिक्ख धर्म ५०० वर्ष पुराना है ,
११. ब्रह्माकुमारी , राधास्वामी , गायत्री परिवार, स्वामी-नारायण इत्यादि मत
संप्रदाय लगभग १००-१५० वर्ष पुराने है ,
चलिए मानते है की कुरान ही ईश्वरीय ज्ञान है जो की १४०० वर्ष पुराना है , तो
क्या १४०० वर्ष पहेले की मनुष्य जाती को ईश्वर अपने इस कुरान जो ईश्वरीय ज्ञान
है उससे वंचित रखता , या १४०० वर्ष पहेले भी कोई धर्म था कोई धार्मिक पुस्तक
थी जिसे लोग मानते होंगे.
इस तरह पिछले से पिछले धर्म और मनुष्य जाती के बारे मे सोचते गए तो रामायण काल
सबसे पुराना है और
अगर हम "रामायण ग्रंथ " ही ईश्वरीय ज्ञान समजे तो क्या दशरथ राजा और उनके
पूर्वज कौन से धर्म को मानते होंगे?.
चलिए एक क्षण के लिए मान लिया जाय के , यह सभी धार्मिक पुस्तक ईश्वरीय ज्ञान है,
और ईश्वर ने काल दर काल
अपना ज्ञान भिन्न भिन्न धर्म और उनकी धार्मिक पुस्तकों द्वारा हमें प्रदान
किया .
तो इन सारे पुस्तकों में ईश्वरीय ज्ञान और बातो में समानता होती ?. फिर इन
सभी पुस्तकों में आपसी मतभेद क्यों है ?.
चलिए एक छोटी से कसौटी कर ते है ,
उ. दा. एक टीवी सेट जब हम घर पर लाते है , तो उस के साथ company वाले एकmanual
देते है , और उसमे टीवी को किस तरह से उपयोग करना ,
क्या क्या सावधानी रखना , क्या करना , क्या न करना यह सारी बाते बताई जाती है,
जब भी कोई व्यक्ति/कंपनी कोई वस्तु का निर्माण करता है , तो वोह एक manual
देता है की यह वस्तु लाभ आप ठीक से किर तरह से ले सकते है .
ठीक इसी तरह जब ईश्वर ने यह सारा ब्रह्माण्ड , यह सृष्टि बनायीं , तो उस
सृष्टि के आरम्भ में एक manual दी ,
जिस का नाम है "वेद" , वास्तव में आर्यों ( आज का नाम हिन्दू ) अथवा
मनुष्य मात्र की धार्मिक पुस्तक सिर्फ "वेद" है .
यह "वेद" ( अर्थात ज्ञान ) में गणित , ज्योतिष , नौकानयन , विमानादी विद्या
, तार बेतार विद्या , चुम्बकीय विद्या , वैधक शाश्त्र , संगीतादी विद्या,
व्यापार , वाणिज्य विद्या , खगोल और भूगोल विद्या , अर्थात , आजकी
SCIENCE से लेकर संपूर्ण आध्यात्म , योग विद्या का सार वेदों में मिलता है ,
कुछ science की बाते जो वेदों में है आपके समक्ष रखता हु
सूर्य के सुषुम्न नामक किरण से चंद्रमा प्रकाशित होता है - यजुर्वेदlang=HI style='fo
Haresh Patani
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