AAA AB LAUT CHALEIN
agrasen
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[aryayouthgroup] बिछुड़े भाइयों (हिन्दुस्तानी मुसलमानों) से
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Agniveer Agni
Reply-To: aryayouthgroup@yahoogroups.com
To: Aryasamajonline Online
तू है समझता अक्स ए खुदा है मुसलमान
धरती पे एक बंदा ए खुदा है मुसलमान
जीते जी तो है लाडला खुदा का मुसलमान
मर कर के भी जायेगा जन्नत को मुसलमान II
कहना न मुझे कुछ है कबीला ए अरब से
ना वास्ता अभी किसी ओमान तुर्क से
है जिससे मेरा अब तलक भी खून का रिश्ता
कहना है उसी हिंद के सब चाँद तारों से II
रहते थे हम याँ साथ सब साझा था हमारा
न मेरा न तेरा था ये सब कुछ था हमारा
एक माँ की ही गोदी में सदा खेलते थे हम
इससे भी बढ़के एक ही था धर्म हमारा II
थे इल्म में बढे हुए ताकत में बेबदल
शोहरत में था कमाल थी तकनीक बेबदल
गंगा सी नदी एसी बेबस खड़ा ज़मज़म
आसमानों पे चढ़ता वो हिमाला था बेबदल II
पर फिर यहाँ पे राजा आपस में लड़ पड़े
गैरों पे चढ़ने थे कदम अपनों पे चल पड़े
ये देख लुटेरे उठे मगरिब से चल पड़े
करने को फतह हिंद वो मक्का से चल पड़े II
आकर के हिंद में कहा फैला दो याँ इस्लाम
हो कुफ्र ख़त्म कर दो यहाँ दारूल ए इस्लाम
माने नहीं जो बात तो शमशीर चलाओ
माने जो बात कर लो उसे लश्कर ए इस्लाम II
फिर क्या था घसीटा माओं को सड़क पे
रौंदा फिर अस्मतों को बहनों की सड़क पे
बेचा इन्हें जाकर अरब गुलाम की तरह
हैवानियत का नाच था खूंखार सड़क पे II
आदमी को सरे आम था काटा जाता
काटने से पहले इतना तो पूछा जाता
होगे की मुसलमान या फिर मुर्दा
बस हाँ या ना पे फैसला ये हो जाता II
इस तरह हिंद में हुआ हिन्दू से मुसलमान
जाँ खुद की बचाने को बना हिन्दू मुसलमान
भूल कर भी माँ बाप बहन बेटी को
पढ़ लाश पे कलीमा बना हिन्दू मुसलमान II
तुम रहना न धोखे में तुम नस्ल हो अरबी
सोचो तो जरा कौन हो हिंदी या तो अरबी
पूछो तो खुद से हो क्या नहीं राम के सपूत?
हो क्यों समझते अपनी तारीख है अरबी? II
ओ मेरे प्यारे भाईओं अब तो जरा सोचो
क्यों मानते इसे हो, कातिल है ये सोचो
जिसने किया जुदा तुम्हे माँ बाप भाई से
है किस कदर ये दीन रहमान का सोचो II
आ फिर से गले मिल के पुरखों को दिखा दें
दो भाई मिलें फिर ये माता को दिखा दें
हाथों में हाथ डाल के फिर से वो ही मस्ती
दुनिया को भी थोड़ा सा रुला दें औ हंसा दें II
- आर्य मुसाफिर
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