DO NOT ACT AGAINST YOUR AATMA
agrasen
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[aryayouthgroup] अपनी आत्मा के स्वभाव के विरुद्ध कोई कर्म नहीं करना चाहिये
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<> Fri, May 8, 2009 at 11:19 PM
Reply-To: aryayouthgroup-owner@yahoogroups.com
To: aryayouthgroup
ओ3म्
वे ही मनुष्य असुर,दैत्य,राक्षस तथा पिशाच हैं, जो आत्मा में और जानते,वाणी से और बोलते और करते कुछ और ही हैं।
वे कभी भी अविद्यारूप दुखसागर से पार हो आनन्द को कभी नहीं प्राप्त हो सकते ।
और जो आत्मा-मन -वाणी और कर्म से निष्कपट एक सा आचरण करते हैं ,
वे ही देव ,आर्य,सौभाग्यवान् सब जगत् को पवित्र करते हुवे इस लोक और परलोक में अतुल सुख को भोगते हैं ।
अतः आत्महनन अर्थात् अपनी आत्मा के स्वभाव के विरुद्ध कोई कर्म नहीं करना चाहिये ।
1 Comments:
As with all of the other Access classes this was great.
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