Saturday, January 08, 2011

shri ram charit maanas

और हाँ, आपने यह चौपाई तो अवश्य सुनी होगी?

मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवउ सो दसरथ अजिर बिहारी।। (बाल काण्ड 112-4)

यह चौपाई, रामचरितमानस की सबसे ज्यादा जानी पहचानी चौपाई है. किंतु इसे इतनी बार गाया-सुना जा चुका है कि कई बार हम इसके अर्थ से अनभिज्ञ रह जाते हैं. जैसे कि जन-गण-मन. या कोई और ऐसा गीत जिसे हम तब से गा रहे हो जब हमें उसके मायने नहीं पता थे और फिर बाद में कभी ठहर कर सोचा ही नहीं कि आखिर इसका अर्थ क्या है.

तो लीजिए, प्रस्तुत है इस चौपाई का भावार्थ:

शिवजी पार्वतीजी से कहते हैं:
मंगल के धाम, अमंगल के हरने वाले और श्री दशरथजी के आँगन में खेलने वाले (बालरूप) श्री रामचन्द्रजी मुझ पर कृपा करें

सद्भाव सहित,
राहुल