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क्या यह सिर्फ़ संयोग है या “कुछ और”? (एक माइक्रो पोस्ट)
सुनील दत्त
To: Active Hindus
Sunday 21 February 2010
क्या यह सिर्फ़ संयोग है या “कुछ और”? (एक माइक्रो पोस्ट)
पीएम अब्दुल कलाम, एमए फ़ैयाज़, ईएस मोहम्मद कबीर, वीई अब्दुल गफ़ूर, पीए राशिया, एमए कादर, पीके शकीला, एम साजिद, केके रज़िया, ईएस अशरफ़, वीके रफ़ीक, पीएम मोहम्मद हसन, मोहम्मद सवद, एमए सोहराब, टीपी साजिद और वीके मोहम्मद यूसुफ़।
ना, ना, ना, ना… इन नामों को पढ़कर कोई गलत धारणा मत बनाईये, न ही ये सारे नाम मुस्लिम लीग के कार्यकर्ताओं अथवा पदाधिकारियों के हैं, न ही यह नाम राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी द्वारा पकड़े गये आतंकवादियों के हैं… बल्कि ये सारे नाम माननीय वकीलों के हैं। जी हाँ, केन्द्र सरकार द्वारा केरल हाईकोर्ट में अपने प्रतिनिधि के रूप में नामित किये गये पैनल के सभी 16 एडवोकेट मुसलमान हैं, और यह सभी महानुभाव अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल श्री टीपीएम इब्राहीम खान के सहायक के रूप में कार्य करेंगे।
यदि यह सिर्फ़ संयोग है, कि केन्द्र सरकार को वकीलों की पूरी पैनल में एक भी हिन्दू या ईसाई एडवोकेट नहीं मिला, तब तो यह वाकई गजब का संयोग है, और यदि यह संयोग नहीं “कुछ और” है, तब तो सच्चर साहब और रंगनाथ मिश्र जी बेहद खुश होंगे…। वैसे आपकी जानकारी के लिये बता दूं कि केरल हाईकोर्ट में अब्दुल नासेर मदनी से सम्बन्धित कई संवेदनशील मामले चल रहे हैं।
प्रधानमंत्री जी का “संसाधनों पर पहला हक” वाला बयान तो सुना है, “पूरा हक” के बारे में मुझे नहीं पता था। वर्तमान गंदले माहौल में हमारी रक्षा सेनायें और न्यायपालिका यही दो स्तम्भ बचे हैं जिन पर थोड़ा भरोसा है, क्या अब “सेकुलरिज़्म” इन्हें भी…
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(मामला न्यायपालिका से जुड़ा है इसलिये बेहद सभ्य भाषा में बात रखने की कोशिश की है, आप लोग भी टिप्पणियों में “श्री”, “जी”, “माननीय”, “महोदय”, “श्रीमान” आदि का भरपूर उपयोग करें…)
सौजन्या
http://blog.sureshchiplunkar.com/2010/02/blog-post_21.html
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